भगवान की ओर ले जाने वाला रास्ता है :- दान,धर्म और प्रार्थना।
जुलाई माह में मंडली द्वारा यह कार्यक्रम किया जाना है। इस पुनीत कार्य में आप अवश्य सहभागी बनें। सम्पूर्ण विस्तृत जानकारी यहाँ से जानें (क्लिक करें)
मंदिर में आवश्यक कार्य
मंदिर शिखर का निर्माण
प्रवेश द्वार का निर्माण
बाउंड्री वॉल का निर्माण
मार्बल व ग्रेनाइट का कार्य
हमारा उद्देश्य धर्म प्रचार के साथ मढ़िया परिसर का विकास है।
श्री सिद्धपीठ देवी मढ़िया माता एवं हनुमानजी महाराज बरबसपुर की रामायण मंडली जहाँ प्रत्येक मंगलवार को रामचरित मानस के कुछ दोहे का गायन एवं प्रत्येक शनिवार को सुंदरकाण्ड का पाठ अनिवार्यतः होता है। श्रावण मास में प्रतिदिन रामचरित मानस के एक मासपारायण का पाठ व प्रत्येक चैत्र नवरात्र में नौ दिवसीय अखंड मानस का आयोजन किया जाता है।हनुमानजी के जन्मोत्सव, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व अन्य त्योहारों पर अखण्ड मानसपाठ पूजन, हवन एवं भंडारा किया जाता है।
एक हाथ से दिया गया दान हज़ारों हाथों से लौटता है।
जो हम देते हैं वो ही हम पाते हैं, दान के विषय में यह बात हम सभी जानते हैं। दान अर्थात देने का भाव, अर्पण करने की निष्काम भावना। हिन्दू धर्म में दान चार प्रकार के बताए गए हैं, अन्न दान, औषध दान, ज्ञान दान एवं अभयदान एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अंगदान का भी विशेष महत्व है। दान एक ऐसा कार्य, जिसके द्वारा हम न केवल धर्म का पालन करते हैं बल्कि समाज एवं प्राणी मात्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन भी करते हैं।
किन्तु दान की महिमा तभी होती है जब वह निस्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। यहाँ समझने वाली बात यह है कि देना उतना जरूरी नहीं होता जितना कि 'देने का भाव'। अगर हम किसी को कोई वस्तु दे रहे हैं लेकिन देने का भाव अर्थात इच्छा नहीं है तो वह दान झूठा हुआ, उसका कोई अर्थ नहीं। इसी प्रकार जब हम देते हैं और उसके पीछे यह भावना होती है, जैसे पुण्य मिलेगा या फिर परमात्मा इसके प्रत्युत्तर में कुछ देगा, तो हमारी नजर लेने पर है देने पर नहीं तो क्या यह एक सौदा नहीं हुआ?
दान का अर्थ होता है देने में आनंद, एक उदारता का भाव प्राणी मात्र के प्रति एक प्रेम एवं दया का भाव है किन्तु जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है? गीता में भी लिखा है कि कर्म करो, फल की चिंता मत करो हमारा अधिकार केवल अपने कर्म पर है उसके फल पर नहीं। हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है यह तो संसार एवं विज्ञान का साधारण नियम है इसलिए उन्मुक्त ह्रदय से श्रद्धा पूर्वक एवं सामर्थ्य अनुसार दान एक बेहतर समाज के निर्माण के साथ साथ स्वयं हमारे भी व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है और सृष्टि के नियमानुसार उसका फल तो कालांतर में निश्चित ही हमें प्राप्त होगा।
आज के परिप्रेक्ष्य में दान देने का महत्व इसलिये भी बढ़ गया है कि आधुनिकता एवं भौतिकता की अंधी दौड़ में हम लोग देना तो जैसे भूल ही गए हैं। हर सम्बन्ध को हर रिश्ते को पहले प्रेम समर्पण त्याग सहनशीलता से दिल से सींचा जाता था लेकिन आज! आज हमारे पास समय नहीं है क्योंकि हम सब दौड़ रहे हैं और दिल भी नहीं है क्योंकि सोचने का समय जो नहीं है! हाँ, लेकिन हमारे पास पैसा और बुद्धि बहुत है, इसलिए अब हम लोग हर चीज़ में इन्वेस्ट अर्थात निवेश करते हैं, चाहे वे रिश्ते अथवा सम्बन्ध ही क्यों न हो! तो हम लोग निस्वार्थ भाव से देना भूल गए हैं। देंगे भी तो पहले सोच लेंगे कि मिल क्या रहा है और इसीलिए परिवार टूट रहे हैं, समाज टूट रहा है।
जब हम अपनों को उनके अधिकार ही नहीं दे पाते तो समाज को दान कैसे दे पाएंगे? अगर दान देने के वैज्ञानिक पक्ष को हम समझें, जब हम किसी को कोई वस्तु देते हैं तो उस वस्तु पर हमारा अधिकार नहीं रह जाता है, वह वस्तु पाने वाले के आधिपत्य में आ जाती है। अत: देने की इस क्रिया से हम कुछ हद तक अपने मोह पर विजय प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। दान देना हमारे विचारों एवं हमारे व्यक्तित्व पर एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालता है इसलिए हमारी संस्कृति हमें बचपन से ही देना सिखाती है न कि लेना। हमें अपने बच्चों के हाथों से दान करवाना चाहिए ताकि उनमें यह संस्कार बचपन से ही आ जाएं।
दान धन का ही हो, यह कतई आवश्यक नहीं, भूखे को रोटी, बीमार का उपचार, किसी व्यथित व्यक्ति को अपना समय, उचित परामर्श, आवश्यकतानुसार वस्त्र, सहयोग, विद्या यह सभी जब हम सामने वाले की आवश्यकता को समझते हुए देते हैं और बदले में कुछ पाने की अपेक्षा नहीं करते, यह सब दान ही है। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि परहित के समान कोई धर्म नहीं है और दूसरों को कष्ट देने के समान कोई पाप नहीं है। दानों में विद्या का दान सर्वश्रेष्ठ दान होता है क्योंकि उसे न तो कोई चुरा सकता है और न ही वह समाप्त होती है बल्कि कालांतर में विद्या बढ़ती ही है और एक व्यक्ति को शिक्षित करने से हम उसे भविष्य में दान देने लायक एक ऐसा नागरिक बना देते हैं जो समाज को सहारा प्रदान करे न कि समाज पर निर्भर रहे।
इसी प्रकार आज के परिप्रेक्ष्य में रक्त एवं अंगदान समाज की जरूरत है। जो दान किसी जीव के प्राणों की रक्षा करे उससे उत्तम और क्या हो सकता है? हमारे शास्त्रों में ॠषि दधीची का वर्णन है जिन्होंने अपनी हड्डियाँ तक दान में दे दी थीं, कर्ण का वर्णन है जिसने अपने अन्तिम समय में भी अपना स्वर्ण दंत याचक को दान दे दिया था। देना तो हमें प्रकृति रोज सिखाती है, सूर्य अपनी रोशनी, फूल अपनी खुशबू, पेड़ अपने फल, नदियाँ अपना जल, धरती अपना सीना छलनी कर के भी दोनों हाथों से हम पर अपनी फसल लुटाती है। इसके बावजूद न तो सूर्य की रोशनी कम हुई, न फूलों की खुशबू, न पेड़ों के फल कम हुए न नदियों का जल, अत: दान एक हाथ से देने पर अनेकों हाथों से लौटकर हमारे ही पास वापस आता है बस शर्त यह है कि निस्वार्थ भाव से श्रद्धा पूर्वक समाज की भलाई के लिए किया जाए।
गुप्त दान की बड़ी महिमा है। प्रकट रूप से जो दान किया जाता है, उसकी तुलना में गुप्त दान से दस गुना ज्यादा फल मिलता है। गुप्त दान बिना किसी कर्मकाण्ड के किया जा सकता है। गुप्त दान की ऋषियों ने बहुत प्रशंसा की है।
व्यवहार में कहते हैं कि दान गुप्त रखना। अब गुप्त रूप से कोई ही देगा। बाकी सबको कीर्ति की भूख है, इसलिए देते हैं। तब लोग भी बखान करते हैं कि भई! यह सेठ, क्या कहने, लाख रुपये का दान दिया! तो उतना उसका बदला यहीं का यहीं मिल गया सांसारिक कीर्ति के रूप में।
अर्थात् दान देकर उसका बदला यहीं का यहीं ही ले लिया। और जिसने गुप्त रखा, उसने बदला लेने का भगवान पर छोड़ा तो भगवान आपको जिसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है उसे प्रदान करते हैं जैसे- कष्ट-रोग(दैहिक दैविक भौतिक) निवारण, धन वैभव, सुख-समृद्धि इत्यादि। बदला मिले बगैर तो रहता ही नहीं। आप लो या न लो पर बदला तो उसका होता ही है।
अपनी सामर्थ्य के मुताबिक गरीब को भी यह दान करने से पुण्य मिलता है। इस दान के साक्षी सिर्फ भगवान होते हैं। इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताया जाता। पत्नी-पति को और पति-पत्नी को भी इसके बारे में जानकारी नहीं देते।
कुछ लोग चुपचाप मुट्ठी में रखकर कोई भी चीज किसी सुपात्र को देकर आगे बढ़ जाते हैं। वे दान लेने वाले को अपना परिचय नहीं देते, वे कोई संकल्प नहीं पढ़ते। यह दान भगवान को बहुत प्रिय है।
• श्रवण तिवारी जी 5200
• ज्ञान सिंह जी 5100
• अमित सिंह जी (सोनू) 5000
• नवनीत सिंह जी 2100
• हीरा सिंह जी 2100
• विनय मिश्रा जी के जीजाजी 2000
• सुजीत नापित जी 2000
• बृजेंद्र सिंह जी 1111
• सूरज द्विवेदी जी 1111
• नीतेश सिंह जी(निक्की) 1100
• आलोक सिंह जी 1100
• राघवेन्द्र सिंह जी 1100
• गोविन्द सिंह जी 1100
• नारायण सिंह जी 1100
• अशोक सिंह चौहान जी 1100
• पंकज सिंह जी 1100
• विपिन सिंह जी 1000
• रविन्द्र सिंह जी 1000
• गुप्त दान 1000
• सुखदेव त्रिपाठी जी 1000
• रघुवीर प्रसाद चतुर्वेदी जी 551
• सुरेश प्रसाद पाण्डेय जी 551
• उदय सिंह जी 517
• ओंकार सिंह जी 500
• पुस्पेंद्र सिंह जी 500
• विद्या सिंह जी 500
• जमुना पांडे जी 500
• अयोध्या प्रसाद जी 200
• संतोष उपाध्याय जी 150
• गुप्त दान 101
1.अमन शेट्टी जी 6000
2.शिवदयाल सिंह जी 2151
3.विवेक सिंह जी (रीवा) 2100
4.गोविंद सिंह जी 1601
5.अमित सिंह जी 1100
6.रामपाल सिंह जी 1100
7.रोहित सिंह जी 1001
8.जी.के. मिश्रा जी 1000
9.दीपक सिंह जी 1000
10.बिसाहू लाल जी 1000
11.संजय सिंह परिहार जी 551
12.सुजीत नापित जी 551
13. श्रवण तिवारी जी 551
14. सरदार सिंह जी 551
15.गंगाराम गर्ग जी 501
16.डब्बू सिंह जी 501
17.विक्रम सिंह जी 501
18.ब्रजेंद्र सिंह जी 501
19.केदार त्रिपाठी जी 501
20.सूरज द्विवेदी जी 501
21.अशोक सिंह चौहान जी 501
22. नवनीत सिंह जी 501
23.सीताशरण मिश्रा जी 501
24.सुरेश सिंह परिहार जी 500
25.सतेंद्र सिंह परिहार जी 500
26.गोपाल चतुर्वेदी जी 500
27.बिंदु सेक्रेटरी जी 500
28.ज्ञानेंद्र सिंह परिहार जी 500
29.गोपाल सिंह जी 500
30.सम्मिलित 351
31. मुन्नी राठौर जी 300
32.दयाशंकर तिवारी जी 251
33.सत्यदेव सिंह जी 250
34.मुकेश दुबे जी 250
35.गुप्त 250
36.जितेंद्र तिवारी जी 200
37.पेट्रोल पंप पंडित जी 200
38.धीरेंद्र सिंह जी 200
39.राजेश यादव जी 200
40. बहोरी मास्टर जी 200
41.आनंदराम कोल जी 200
42.रिंकू सिंह जी 200
43. ए.के.राय जी 151
44. योगीशरण चतुर्वेदी जी 151
45.मिलन महरा जी 150
46.चकरेभ नापित जी 150
47.राम गणेश जी 111
48.अयोध्या दुबे जी 105
49.उदय सिंह जी 101
50.चुनेश्वर सिंह जी 101
51.बिंदु मिसेज जी 101
52.नरेंद्र मिश्रा जी 100
53. वी.पी.सिंह जी 100
54.मनोज द्विवेदी जी 100
55.राजीव पाण्डेय जी 100
56.रोंहदल जी 100
57.सुरेश पाण्डेय जी 100
58.शैलेंद्र सिंह जी 100
59.अभिषेक कुमार दुबे जी 100
60. ओम प्रकाश दुबे जी 100
61.रामपाल केवट जी 100
62.सुखदेव राठौर जी 100
63.रामराज सिंह जी 100
64.अवधेश जी महाराज 100
65.नत्थू तिवारी जी 100
66.हंसी बाई दुबे जी 100
67. ओंकार सिंह जी 100
68.महेंद्र पांडेय जी 100
69.बेंचू कोल जी 100
70.प्रतिमा महरा जी 51
71.बद्री प्रसाद पांडेय जी 51
72.पसलहा जी 51
73. बहोरी जी 51
74.यादव जी 50
75.मोतीलाल जी 20
(1) मनोरमा सिंह जी (जनपद सदस्य) 5100
(2) चित्तू कोल जी 5000
(3) विष्णु सिंह जी (बिलासपुर) 3000
(4) गुप्त दान 1100
(5) केदार त्रिपाठी जी 1100
(6) गुप्त दान 1000
(7) रविन्द्र सिंह जी 1000
(8) संजुला सिंह जी (सतना) 1000
1.शिवदयाल सिंह जी 1151
2.बिसाहू लाल जी 1151
3.दिनेश द्विवेदी जी 1111
4.गोविन्द सिंह जी 1100
5.सत्यदेव सिंह जी 1100
6.विवेक सिंह जी 1100
7.ज्ञान सिंह जी 1000
8.बिंदु सेक्रेटरी जी 600
9.सरदार सिंह जी 551
10.रवि महरा जी 551
11.श्रवण तिवारी जी 550
12.नारायण सिंह जी 501
13.अशोक सिंह जी 501
14.ओंकार सिंह जी 500
15.रामपाल सिंह जी 500
16.धीरेंद्र सिंह जी 500
17.सुरेश सिंह परिहार जी 500
18.रमेश सिंह जी 500
19.श्याम लाल गुप्ता जी 500
20.स्व.अविनाश सिंह जी 401
21.भूमेश दुबे जी 300
22.जमुना पांडेय जी 300
23.पंकज सिंह जी 300
24.बाबू लाल सिंह जी 251
25.कौशल्या दुबे जी 251
26.निशा सिंह जी 251
27.विद्या देवी सिंह जी 251
28.सुजीत नापित जी 201
29.उदय सिंह जी 201
30.केदार त्रिपाठी जी 200
31.प्रशांत सिंह जी 200
32.योगीशरण चतुर्वेदी जी 200
33.संतोष सिंह जी 200
34.शिव कुमार शर्मा जी 200
35.सुरेश चतुर्वेदी जी 200
36.संध्या सिंह जी 125
37.मुकेश पाण्डेय जी 121
38.बीरबल प्रजापति जी 100
कुल योग राशि 18220
हनुमान जी जन्मोत्सव 2024 में राशि
1.संजय सिंह परिहार जी 551
2.सुजीत नापित जी 201
3.विजय मिश्रा जी 101
4.संतोष वकील जी 100
जय माता दी
ग्राम बरबसपुर और सीतापुर की एक मात्र प्रतिष्ठित देवी मढ़िया के संपूर्ण परिसर में फर्श निर्माण की अत्यंत आवश्यकता थी जिसे इस नवरात्रि के दो दिन पहले ही मातारानी की प्रेरणा से संपन्न किया गया जिसका पूरा विवरण नीचे दिया गया है।
देवी मढ़िया परिसर में फर्श ढलाई में कुल खपत हुई सामग्री एवं लगे लेवर+मिस्त्री
(1). गिट्टी :- 2 ट्रिप 40 mm (400 फिट) + 2 ट्रिप 20 mm (400 फिट)
(2). रेत :- 7 ट्रिप ट्रैक्टर ट्रॉली में
(3). सीमेंट :- 134 बोरी (108 अल्ट्राटेक + 26 डबल बुल)
(4). 3 दिन कार्य में लगे मजदूर और मिस्त्री
पहला दिन :- मिट्टी लेवलिंग और बॉर्डर कार्य में 1 मिस्त्री + 2 लेवर
दूसरा दिन :- 40 mm गिट्टी का बेस ढलाई में 2 मिस्त्री + 33 लेवर
तीसरा दिन :- 20 mm गिट्टी की ढलाई में 3 मिस्त्री + 30 लेवर + लेवर, मिस्त्री का ओवर टाइम शाम 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक + 1080 ₹ का लेवर नाश्ता + 1000 ₹ रेत लेवर
(5). मिक्सचर मशीन एवं पानी टैंकर :- 2 दिन ढलाई हेतु मिक्सिंग मशीन और 500 का डीजल + 3 टैंकर पानी
(6). फेंसिंग :- फेंसिंग हेतु लोहे की 3 पाइप प्रत्येक 2 इंच 20 फिट का + 5 बंडल तार की जाली 250 फिट
कुल लागत राशि (सामग्री सहयोग को छोड़कर)
1. श्री श्रवण तिवारी जी (दुकान) 42630
2. गिट्टी दो ट्रिप 11000
3. सम्पूर्ण लेवर मिस्त्री पेमेंट,नाश्ता,रेत लेवर,डीजल 22160
कुल योग 75790
मढ़िया परिसर में फर्श निर्माण में प्राप्त सामग्री सहयोग
(1) गिट्टी :- श्री श्रवण तिवारी जी के द्वारा एक ट्रिप एवं श्री विवेक सिंह जी (भइयादादा) के द्वारा एक ट्रिप गिट्टी का सहयोग किया गया।
(2) रेत :- एक ट्रैक्टर ट्रिप श्री जगत सिंह जी और अन्य ट्रिप श्री शिवदयाल सिंह जी एवं विक्रम सिंह जी के द्वारा व्यवस्था कराया गया।
(3) सीमेंट :- 11 बोरी श्री जी.के. मिश्रा जी एवं 10 बोरी सरपंच जी के द्वारा व्यवस्था कराया गया।
(4) मिक्सचर मशीन एवं पानी टैंकर :- श्री शिवदयाल सिंह जी के द्वारा व्यवस्था कराया गया।
(5) फेंसिंग :- श्री संजय सिंह जी परिहार के द्वारा 5 बंडल तार की जाली 250 फिट परिसर की सुरक्षा हेतु प्रदान किया गया।
मढ़िया परिसर में फर्श निर्माण हेतु अभी तक प्राप्त सहयोग राशि
1. श्री प्रकाश सिंह जी 3100
2. श्री नारायण सिंह जी (कक्का) 2100
3. श्री अर्जित सिंह जी 2100
4. श्री दिनेश द्विवेदी जी 1500
5. श्री पंकज सिंह जी 1100
6. श्री जगत सिंह जी 1100
7. श्री गोविंद सिंह जी 1100
8. श्री बृजेंद्र सिंह जी 1100
9. श्री रवि महरा जी 501
10. श्रीमती निशा सिंह 500
11. श्री सुजीत नापित जी 500
12. श्री ओंकार सिंह जी 500
13. श्री दीपक दुबे जी 500
14. श्री गोपाल राठौर जी 500
15. श्री असित सिंह जी बघेल 500
16. श्री काशीराम पाण्डेय जी 500
17. श्री बद्री प्रसाद पाण्डेय जी 200
18. श्री भूमेश दुबे जी 200
19. श्री जीतबहादुर सिंह जी 100
कुल योग 17701
अभी 58089 रुपए का उधार बाकी है इसलिए आप सभी से विनम्र निवेदन है कि आप सभी यथा संभव धनराशि का सहयोग प्रदान करें।
🙏🙏 जय श्री राम 🙏🙏